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मंगलवार, जनवरी 04, 2022

"शिक्षा का सही अर्थ तो समझना होगा हमें"(चर्चा अंक 4299)

सादर अभिवादन

आज मंगलवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है

(शीर्षक और भुमिका आदरणीय मनीषा जी की रचना से)

शिक्षा का सही अर्थ समझना उतना ही महत्वपूर्ण है , जितना की शिक्षित होना ।

 लेकिन यह तभी संभव है , 

जब शिक्षा को सिर्फ नौकरी पाने के मकसद से ग्रहण न किया जाए , 

बल्कि शिक्षा को मैत्री , करुणा , प्रसन्नता और सद्भावना के भाव को जागृत करने के लिए अर्जित किया जाए । 

यह भाव व्यक्ति में नैतिक शिक्षा से ही उत्पन्न होता है । 

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प्रिय मनीषा,इस गंभीर विषय पर इतनी प्रेरणादायक लेख लिखने के लिए तहे दिल से शुक्रिया 

"शिक्षा" शब्द का मतलब समझना बेहद आवश्यक है। 

यदि हम "शिक्षित" होने का सही मतलब समझते तो परिवार और समाज इतना दूषित नहीं हुआ होता 

आज तो ये कहते हुए भी शर्म आती है कि-

"हम शिक्षित समाज का हिस्सा है"

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क्या सचमुच, हम एक शिक्षित  समाज बना पाए है ?

इस विचारणीय प्रश्न के साथ चलते हैं,आज की कुछ खास रचनाओं की ओर 

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गीत "आ गया नव वर्ष फिर से" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

सुप्त भावों को जगाने,

आ गया नव वर्ष फिर से।

जश्न खुशियों का मनाने,

आ गया नव वर्ष फिर से।

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प्रिय मनीषा,अमर उजाला में लेख के प्रकाशन पर तुम्हे हार्दिक शुभकामनाएं 

शिक्षा का सही अर्थ तो समझना होगा हमें

शिक्षा का सही अर्थ समझना उतना ही महत्वपूर्ण है , जितना की शिक्षित होना । लेकिन यह तभी संभव है , जब शिक्षा को सिर्फ नौकरी पाने के मकसद से ग्रहण न किया जाए , बल्कि शिक्षा को मैत्री , करुणा , प्रसन्नता और उपेक्षा के भाव को जागृत करने के लिए अर्जित किया जाए । यह भाव व्यक्ति में नैतिक शिक्षा से ही उत्पन्न होता है । नैतिक शिक्षा से ही व्यक्ति को शिक्षा का सही अर्थ पता चलता है । ------------------------"सर्कस"

लेखक कुछ लिख​ रहा था और दूर कहीं से आती सर्कस के खेमे की आवाजों और रंग बिरंगी रोशनियों ने उस का ध्यान भटका दिया था। अपने पहले कार्य को भूल कर लेखक ने सर्कस की आन-बान​ और शान का वर्णन करते हुए उसकी वर्तमान उपेक्षा और दुर्दशा का मार्मिक​ वर्णन किया था।

उस लेख को पढ़ते ही मुझे किशोरवय की सर्कस से जुड़ी

एक घटना याद हो आयी। 

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नया साल

भीड़ से एक आवाज आती है,

कुछ नहीं होगा यह सब पहनने से,

जब होना है, हो ही जायेगा !

नया साल 

अपनी एक वर्षीय यात्रा को 

ध्यान में रखकर

महामृत्युंजय मंत्र पढ़ रहा है ...

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लघुकथा ..पदचिह्न


नन्ही रानी अपने छोटे-छोटे कदमों से घर में इधर-उधर दौड रही थी । कभी गुडिया लेने एक कमरे से दूसरे में भागती तो कभी दूसरा खिलौना ।

  उसकी माँ घर की सफाई कर ,पोछा लगा रही थी ।
रानी ....."एक जगह बैठ नहीं सकती ,देख नहीं रही पोछा लग रहा है सब जगह पगले (पैरों के निशान )हो जाएगें ।पता नहीं कब अक्ल आएगी।उसकी दादी नें डाँटते हुए कहा ।
 नन्ही रानी सहम कर एक जगह बैठ गई ।
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६३२. कोहरा

घने कोहरे में हो जाता है

जीवन अस्त-व्यस्त,

भिड़ जाते हैं वाहनों से वाहन,

खड़े  रह जाते हैं विमान,

थम जाती हैं रेलगाड़ियाँ,

चुप हो जाती हैं सड़कें,

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अनुगूंज

रह-रह कर, झकझोरती रही, इक अनुगूंज,

लौटकर, आती रही इक प्रतिध्वनि, 
शायद, जीवित थी, कहीं एक प्रत्याशा,
किसी के, पुनः अनुगमन की आशा!
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एक गीत-सौ प्रतिशत मतदान कीजिए

सबके भाषण को सुनिएगा

भ्रष्टाचारी मत चुनिएगा

राष्ट्र प्रेम के धागों से ही

वस्त्र तिरंगे का बुनिएगा

जिनको सत्ता मद में भूली

उनको अब सम्मान मिल रहा

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शिखण्डी | उपन्यास | शरद सिंह | समीक्षा | आजकल पत्रिका

मित्रो, मेरे उपन्यास "शिखण्डी" की समीक्षा प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार की लोकप्रिय पत्रिका "आजकल" के जनवरी 2022 अंक में प्रकाशित हुई है
आभारी हूं समीक्षक प्रदीप कुमार जी की🙏हार्दिक धन्यवाद आजकल🌷हार्दिक धन्यवाद सामयिक प्रकाशन 
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यकीन मानिए भोजपुरी से आप हैं, भोजपुरी आपसे नहीं बदलते दौर के साथ भोजपुरी इंडस्ट्री में ना जाने कितने गायक, कलाकार, अभिनेता उभरे, चमके हैं। लेकिन पवन सिंह और खेसारीलाल यादव की ठसक कुछ अलग ही है। दोनों जने का सौतिनिया डाह तो जगजाहिर है। अक्सर विवादों में पड़कर चर्चा में बने रहते हैं। वैसे कहा जाता है कि किसी अयोग्य को कम समय में दौलत व शोहरत मिल जाए तो पचा नहीं पता। -----------------------------

आदरणीया ज्योति जी का बहुत ही गंभीर विषय पर चिंतनपरक लेख 

एकबार अवश्य पढियेगा 

...तो यौन उत्पीड़न से बची रहेगी!!

लेकिन ये उपाय आज मैं आपको नहीं बताऊंगी। ये उपाय हमारे देश के एक बहुत ही मशहूर विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) बता रहा है! JNU ने यौन उत्पीड़न से बचने के लिए इतना सरल उपाय बताया है कि जिसे पढ़ कर आप भी सोचने लगेंगे कि इतना सरल उपाय आज तक किसी के भी ख्याल में क्यों नहीं आया? सच है, आप और हम जैसे साधारण बुद्धि वालों के दिमाग मे इतने उच्च कोटि के विचार आ ही कैसे सकते है? 

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आज का सफर यही तक, अब आज्ञा दे

आप का दिन मंगलमय हो

कामिनी सिन्हा

12 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति सखी कामिनी जी ।मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदयतल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीया कामिनी जी आपने बहुत परिश्रम से चर्चा का संयोजन किया है।
    बहुत सारे लिंक मिल गये पढ़ने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रिय मनीषा,इस गंभीर विषय पर इतनी प्रेरणादायक लेख लिखने के लिए तहे दिल से शुक्रिया
    आपको मुझे शुक्रिया कहने की कोई जरूरत नहीं है ये तो मेरा फर्ज है और कुछ तो कर नहीं कर पा रहीं वर्तमान में अपने समाज के लिए तो इतना तो कर ही सकती हूं, कि खुद से नजरे मिला सकूँ!बाकी तो ख्वाहिशें तो बहुत हैं अपने समाज अपने देश के लिए करने के लिए पर फिलहाल इतना ही कर पा रहीं हूँ!
    मेरे लेख को चर्चा मंच में शामिल करके अधिक से अधिक लोगों तक मेरी बात पहुचाने के लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद प्रिय मैम🙏💕

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  6. बेहतरीन सूत्रों से सजी लाजवाब प्रस्तुति ।
    सभी रचनाकारों को बधाई।मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार कामिनी जी ।

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  7. बहुत सुंदर संकलन.मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद.

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  8. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

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  9. प्रिय कामिनी सिन्हा जी, चर्चा मंच में मेरे उपन्यास ' शिखंडी'की समीक्षा पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार 🌷🙏🌷- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

    जवाब देंहटाएं

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