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बुधवार, जनवरी 19, 2022

"कोहरे की अब दादागीरी" (चर्चा अंक-4314)

 मित्रों! 

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

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कोहरे की अब दादागीरी 

लगा माघ शीत अति भारी,
कैसे बिताऊँ ठंढ अनियारी।
हाड़   कांपै   अग्नी   सीरी,
कोहरे  की  अब  दादागीरी। 

काव्य दर्पण 

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दोहे "कुहरे का है क्लेश" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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नहीं हुआ है देश में, अभी शीत का अन्त।
कुहरे से इस साल तो, शीतल हुआ बसन्त।।
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कुहरे-सरदी ने किये, कीर्तिमान सब ध्वस्त।
सूरज की गति देखकर, हुए हौसले पस्त।।
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नहीं दिखाई दे रहा, वासन्ती संगीत।
कुहरे से इस साल तो, है सूरज भयभीत।। 

उच्चारण 

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धूप दिखी तो 

बड़ी देर से मेरा शेरू

कूद रहा अपने बोरे पर

धूप में ला कर शेरू को भी

धमा चौकड़ी कुछ कर आऊं। 

Fulbagiya 

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  • चरित्र-हत्या एक खेल ! 
  • राजनीति हर क्षेत्र में अपने पैर पसारती नज़र आ रही है, जातिवाद के नाम पर बँट रहा परिवेश में इंसान, 
     मैं मेरे की भावना हो रही है बलवती। अपनी हदों को पार करता मानव स्वभाव अब किसी के चरित्र की हत्या करना या करवाना कलिकाल युग के मानव के लिये आम-सी बात बन गयी है बशर्ते करने और करवाने वाले को मिलना चाहिये एवज़ में एक ख़िताब बड़प्पन का वह भी करुणा भाव से छलकता हुआ क्योंकि उसने भी अपने चरित्र को ताक पर रख की  है सामने वाले के चरित्र की हत्या।यही  विशेषता रही है ख़ास इस दौर के मानव की, मुख पर शालीनता की लालिमा शब्दों में तर्क का तेज़ परन्तु दुर्भाग्य वह मानसिक और शारीरिक  रुप से  हो चुका है विकृत स्थिति यह हो चुकी है कि वह बौखला गया है 
  • अवदत अनीता 

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विभिन्न स्वतन्त्रता 

प्रवासी इन्द्र अपनी यात्रा की यादों को छायांकन के माध्यम से साझा कर रहा था।

 "बहुत सुन्दर-सुन्दर तस्वीरें। लेकिन इन तस्वीरों में आपदोनों के अलावा, वहाँ का कोई और नहीं दिखलाई दे रहा... क्या छुट्टियाँ चल रही थी ?" एलबम देखते हुए राघव ने पूछा।

"छुट्टीयाँ चले या ना चले, बिना अनुमति वहाँ किसी का फोटो कोई अन्य नहीं ले सकता..., ध्यान रखना होता है कि गलती से भी गलती ना हो जाये।"

 "जी ठीक कहा। वहाँ निजता का बहुत ख्याल रखा जाता है। अपना भारत थोड़े न है , जब चाहें जिसे चाहें गरिया लें। अब तो रचनाओं में भी अपशब्दों से परहेज नहीं किया जाता।" 

"सोच का सृजन" 

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गाएं गुनगुनाएँ शौक से ग्रुप और उसकी खासियत 

एक ग्रुप बनाया था व्हाट्स एप पर 
"गाएं गुनगुनाएं शौक से " नाम से 
शौकिया गुनगुनाने वाली महिला ब्लॉगर मित्रों के साथ, 
बाद में कई मित्रों की मित्र भी जुड़ती हैं । 
कई आकर स्वेच्छा से वापस लौट गईं। 
लेकिन ग्रुप चलता रहा, चल ही रहा है।
कई गतिविधियां अनायास हो जाती हैं इस पर 
जिसे सहेजने के लिए ग्रुप की सदस्या 
पूजा अनिल ने एक ब्लॉग इसी नाम से बना दिया। 
आजकल उसपर बहार आई है आप भी देखें।

मेरे मन की 

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ओमिक्रॉन की धुआँधार तेजी के बाद अब बचाव का रास्ता क्या है? 

भारत में एक हफ्ते में रोजाना आ रहे संक्रमण दस हजार से बढ़कर एक लाख और फिर देखते ही देखते दो लाख की संख्या पार कर गए हैं। दूसरे दौर के पीक पर यह संख्या चार लाख से कुछ ऊपर तक पहुँची थी। उसके बाद गिरावट शुरू हुई थी। दूसरे देशों में भारत की तुलना में तीन से चार गुना गति से संक्रमण बढ़ रहा है। यह इतना तेज है कि विशेषज्ञों को विश्लेषण करने के लिए पर्याप्त डेटा हासिल करने तक का समय नहीं मिल पाया है। रोजाना तेजी से मानक बदल रहे हैं।  जिज्ञासा 

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विश्व हिंदी दिवस : तीन पीढ़ियों संग हिन्दी के विकास में जुटा एक परिवार 

हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करने और हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करने हेतु प्रति वर्ष 'विश्व हिन्दी दिवस' 10 जनवरी को मनाया जाता है। हिंदी को लेकर तमाम संस्थाएँ, सरकारी विभाग व विद्वान अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश में वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव का अनूठा परिवार ऐसा भी है, जिसकी तीन पीढ़ियाँ हिंदी की अभिवृद्धि के लिए  न सिर्फ प्रयासरत हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी कई देशों में सम्मानित हैं। 

शब्द-शिखर 

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सीमा पर तैनात 

 हो सीमा पर तैनात 

तुम हो कर्तव्य पथ पर अग्रसर

सारी श्रद्धा से जुड़े

कर्म से निष्काम भाव से |

हो तैनात सीमा पर

हो समर्पित पूर्ण रूप से

अपने कार्य के प्रति

है यही प्रिय मुझे | 

Akanksha -asha.blog spot.com 

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गर्दिश-ए-दौराँ 

गर्दिश-ए- दौराँ किसका है

कुछ समझ आया कुछ नहीं आया

वक्त थमा है उसी जगह

हम ही गुज़र रहे दरमियान

गज़ब खेल है समझ से बाहर

कौन किस को बना रहा है

कौन किसको बिगाड़ रहा है

मन की वीणा - कुसुम कोठारी। 

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...तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगा :) 

कोरा कागज़ और कलम

शीशी में है कुछ स्याही की बूंदे
जिन्हे लेकर आज बरसो बाद
बैठा हूँ फिर से
कुछ पुरानी यादें लिखने
जिसमें तुमको छोड़ कर
सब कुछ लिखूंगा 

शब्दों की मुस्कुराहट :) 

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दर्पण 

1)

धुंधले बिम्ब

अश्रुपूरित नैन 

दोष दर्पण

2)

वक़्त दर्पण 

संघर्ष प्रतिबिम्ब

कर्म अर्पण । 

काव्य कूची 

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यह पल 

माना अनंत युग पीछे हैं 

और इतने ही आगे हमारे 

किंतु यह क्षण 

न कभी हुआ न होगा दोबारा 

हर दिन नया है 

हर घड़ी पहली बार भायी है 

चक्र घूम चुका हो चाहे कितनी बार 

मन पाए विश्राम जहाँ 

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शरण में जो भी आए उसकी अस्तित्त्व हमें शुद्ध देखना चाहता है। व्यक्ति, वस्तु तथा परिस्थिति विशेष के प्रति मोह ही मन की अशुद्धि है।शुद्ध अंतर्मन में ही परमात्मा का वास होता है, वह स्वयं उसमें विराजना चाहते हैं। पूर्ण परमात्मा हरेक जीवात्मा को पूर्णता की ओर ले जाना चाहता है। इसी कारण जीवन में ऐसी परिस्थितियों का निर्माण होता है जिनसे हम कुछ सीख सकें...

डायरी के पन्नों से 

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मासूमियत को अपने अंदर समेटे हुए कविता- बालक 

आवाज सुख़न ए अदब 

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पिताजी कहे- सबके दुइ हाथ और दुइयै गोड़ (पैर) होथ 

हर्ष वर्धन त्रिपाठी

हमें किसी भी बात से भय नहीं होता है। किसी व्यक्ति से भय नहीं होता है। कोई घटना हमें भयभीत नहीं करती है। काफ़ी हद तक यही सच है

लेकिन ऐसा क्या है मेरे भीतर कि 

मुझे कुछ भी डराता नहीं। 

जीवन में हमेशा निडर रहता हूँ 

तो इसकी सबसे बड़ी वजह 

हमारे पिताजी स्वर्गीय श्री कृष्ण चंद्र त्रिपाठी ही हैं। 

बतंगड़ BATANGAD 

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नारी-स्वातंत्र्य एवम बिखरते परिवार 

मनुष्य के जीवन में बुद्धि एक ऐसा तत्व है जो कि विश्लेषण करने में सक्षम है। बुद्धि अक्सर मानवता और व्यवस्था के विरुद्ध ही सर्वाधिक सक्रिय होती है।

       बुद्धि निष्काम और सकाम प्रेम के साथ-साथ मानवीय आवश्यक भावों पर साम्राज्य स्थापित करने की कोशिश करती है।     
भारतीय दर्शन को मैंने मुख्यतः दो भागों में महसूस किया है...
[  ] भारतीय जीवन दर्शन
[  ] भारतीय अध्यात्मिक दर्शन 
साझेदारी The Partnership 

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साहित्य विमर्श ने दी अपनी पुस्तकों पर आकर्षक छूट 

साहित्य विमर्श लेकर आया है गणतंत्र दिवस सेल

अमेज़न 17 जनवरी 2022 से लेकर 20 जनवरी 2022 तक ग्रेट रिपलबिक डे सेल लेकर आ रहा है। 

इस सेल के अवसर पर साहित्य विमर्श भी 

अपने पाठकों आकर्षक छूट दे रहा है 

जिसका फायदा वो अमेज़न पर जाकर उठा सकते हैं। 

एक बुक जर्नल 

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गधा के पर्यायवाची शब्द 

दो दोहों में 14 पर्याय
वैशाखनन्दन ही हैं, चक्रीवाहन रासभ।
मूर्खों के उपमान भी,गधा गदहा गर्दभ।।1।।
आप जानें शंखकर्ण, एस डंकी धूसर।
माता शीतलावाहन, खर खोता व बेसर।।2।। 

स्व रचना 

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सभी राज्यों में महिला पुलिस वालंटियर की नियुक्ति होगी, सात राज्यों में शुरू पवन कुमार, नई दिल्ली कही-अनकही 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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11 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर चर्चा। सभी रचनाएँ शानदार।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर रचनाओं का संग्रह...मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. वन्दन
    हार्दिक आभार आपका
    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. साहित्य, राजनीति और समाज से जुड़े कई विषयों पर उत्तम जानकारी देती रचनाओं के सूत्रों से सजा चर्चा मंच!

    जवाब देंहटाएं
  5. आज का चर्चा मंच तो बहुत ही शानदार है सभी अंक को पढ़ने के लिए बहुत ही उत्साहित हूँ!

    जवाब देंहटाएं
  6. अत्यंत श्रमसाध्य कार्य विविध सूत्रों को एक साथ इकठ्ठा करना।
    सादर साधुवाद।
    सभी लिंक आकर्षक पठनीय सामग्री के साथ।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  7. सुप्रभात
    आभार सहित धन्यवाद मेरी रचना को आज के अंक में शामिल करने के लिए |

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  8. सर इस चर्च में मेरी पोस्ट को भी शामिल करने के लिए आभार.....सादर ....शुभकामनाएँ ....

    जवाब देंहटाएं

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