सादर अभिवादन।
मंगलवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
शीर्षक व काव्यांश आ.अमृता तन्मय जी की रचना 'जात न पूछो लिखने वालों की' से-
जात न पूछो
लिखने वालों की
ख्यात न पूछो
न दिखने वालों की
रचना को जानो
जितना मन माने
उतना ही मानो
पर रचनाकार को
जान कर क्या होगा?
आदरणीय कामिनी दी जी की माता जी का स्वास्थ ठीक नहीं है, जल्द ही उनके स्वस्थ होने की कामना के साथ पढ़ते हैं आज की प्रस्तुति में कुछ रचनाएँ।
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दोहे "आज विश्व हिन्दी दिवस, मना रहा संसार"
दो हजार छः से मिला, हिन्दी को उपहार।
आज विश्व हिन्दी दिवस, मना रहा संसार।।
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हिन्दी है सबसे सरल, मान गया संसार।
वैज्ञानिकता से भरा, हिन्दी का भण्डार।।
यदि रचना में
कोई त्रुटी हो तो
निर्भीक होकर कहो
पर नि:सृत रसधार में
रससिक्त होकर बहो
और यदि
स्वाग्रह वश
बहना नहीं चाहते
तो बस दूर रहो
न तुम्हारे हो सके हम, न किसी और ने थामा हमको,
ताउम्र मुन्तशिर रहे हम, ऐसा सिलसिला दे दिया तुमने!
कभी कहा करते थे तुम, हमें इश्क करना नहीं आता,
अंतरात्मा की पुकारें फिर से गूंजेंगी यहाँ
दल-बदल लीला रचाई जाएगी फिर से यहाँ
सभी दिवस हिंदी रहे,भाषा की सिरमौर।
सारा हिन्दुस्तान ही, भाल रखें ज्यों खौर।।
हिंदी मेरा मान है, हिंदी ही शृंगार ।
भाषा के तन पर सजा, सुंदर मुक्ता हार।।
हिंदी से ये हिंद बना है
और हिंद से हुआ
हिंदुस्तान का निर्माण!
हिंदी से है हमारी पहचान !
हिंदी है साहित्य का श्रृंगार!
हिंदी में बसती है साहित्यकारों की जान
हिंदी साहित्य में लगाती चार चांद!
हिंदी के महाकवियों से मिली
हमें इक नई पहचान!
लाल घेरे में
गूढ़ाक्षरों को करे
हिन्दी दिवस
आज मिलावट की भाषा को, लोग मान्यता देते हैं,
अंग्रेजी के लिए स्वयं की, भाषा पे लड़ लेते हैं,
अपनी हिंदी नौसिखिया, ज्ञानी बेचे बाजार में ।
आओ सुदृढ़, समृद्ध करें, हम और इसे संसार में ।।
हिंदी में है दम, हिंदी में है दम...
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हिन्दी दिवस मनाने की सार्थकता कितनी
हम दीपक प्रज्वलित करते हैं, गोष्ठियों का आयोजन करते हैं, जगह-जगह कवि सम्मेलन होते हैं, हिन्दी दिवस की बधाईयाँ देते हैं, लेते हैं ।
हम एक दिन पुरे मातृभाषा के आँचल तले मृग मरीचिका से स्वयं को भ्रमित कर आत्म वंछना से बचने में लगे रहते हैं।हिन्दी पखवारा और हिन्दी सप्ताह मनाने भर से हिन्दी का उद्धार हो जाना एक खुशफहमी के सिवा और क्या है, हिन्दी के प्रति प्रतिबद्धता हर समय कम से कम हर हिन्दी साहित्यकार और रचनाकारों को रखनी होगी।
आज का सफ़र यहीं तक ..
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
बहुत बढ़िया जीवंत चर्चा प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंआपका आभार अनीता सैनी 'दीप्ति' जी!
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबढ़िया संकलन
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा "जाति ना पूछो लिखने वाले की"
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति!
मेरी रचना का चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका तहे दिल से धन्यवाद🙏
अप्रतिम लिंक ,हर रचनाकार हिन्दी के लिए प्रतिबद्ध है तो सच हिन्दी दिवस मनाना सार्थक है।
जवाब देंहटाएंपुनः सभी को हिन्दी दिवस पर हार्दिक बधाई।
सभी रचनाकारों को बधाई।
सभी रचनाएं बहुत आकर्षक।
मेरी दो पोस्ट को एक साथ स्थान देने के लिए हृदय से आभार, लेख कम लिखती हूँ तो आप प्रबुद्ध लोगों की उस पर राय चाहूंगी ।
सादर सस्नेह।
हमारी भी यही कामना है कि माता जी शीघ्र ही स्वस्थ हों । अत्यंत सशक्त एवं सार्थक सूत्रों के सुन्दर संकलन के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ । हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएंआ. कामिनी जी की मातुश्री के शीघ्र स्वास्थ्य-लाभ की कामना करता हूँ।
जवाब देंहटाएंविश्व हिन्दी दिवस के पुनीत अवसर को जीवंत करता अच्छी-अच्छी रचनाओं से सुसज्जित यह अंक बहुत ही सुन्दर लगा। सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई!
मेरी लघु रचना 'सिलसिले' को इस प्रतिष्ठित मंच पर स्थान देने के लिए आ.अनीता जी का हार्दिक आभार!
बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसबसे पहले कामिनी जी की माताजी के लिए ईश्वर से शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करती हूं ।।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर,सारगर्भित तथा सराहनीय अंक ।एरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन ।
मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐🙏🙏