सादर अभिवादन
आज बृहस्पतिवार की प्रस्तुति में
मैं कामिनी सिन्हा
आप सभी का हार्दिक स्वागत करती हूँ
आप सभी को लोहड़ी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें
--
(शीर्षक और भूमिका
आदरणीया श्वेता सिन्हा जी की रचना से )
--
तुम रचयिता स्वस्थ समाज के
खोलो पिंजरे, परवाज़ दो,
दावानल बनो न विनाश करो
बन दीप जलो और तमस हरो।
*********************
"बन दीप जलो और तमस हरो"
श्वेता सिन्हा जी की लिखी बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ
युवा देश का वर्तमान ही नहीं आने वाले कल के सूत्रधार होते हैं
सभ्यता और संस्कृति के कर्णधार भी होते हैं...
युवावर्ग का आह्वान करती इन सुन्दर विचारों के साथ चलते हैं...
आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....
*************************
गीत "गाओ फिर से नया तराना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
सब कुछ तो पहले जैसा है,
लक्ष्य आज भी तो पैसा है,
सिर्फ कलेण्डर ही तो बदला,
वही ठौर है, वही ठिकाना।
*******************
आह्वान.. युवा
आवाहन का तुम गान बनो
बाजू में प्रचंड तूफान भरो
हे युवा! हो तुम कर्मवीर
तरकश में कस लो शौर्य धीर
अब लक्ष्य भेदना ही होगा
योद्धा हो आर या पार करो
******************
हिवड़ो झूले हिण्डोला
दीवल रो काजळियो काड्यो
काळी आटी जुड़ा जड़ी।
कुण्या पार चड्यो चूड़लो
बिछुड़ी डसती घड़ी-घड़ी।
बिंदी होळ्या-होळ्या पूछे
घरा साजन रो आवणों।।
*************************
युवा दिवस पर दोहे
उठो युवाओं नींद से, बढ़ो चलो हो दक्ष।
जब तक पूरा कार्य हो, लगे रहो प्रत्यक्ष।।
जीवन में संयम रखो, रखो ध्यान पर ध्यान।
दृष्टि रखो बस चित्त पर, तभी बढ़ेगा ज्ञान।।
*******************मैं विवेकानंद...
मैं .......विवेकानंद बोल रहा हूँ
मैं बदलता भारत देख रहा हूँ
मैं युवा भारत की आहट सुन रहा हूँ
मैं ये सोच आनंदित हो रहा हूँ
*********************
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्त वरान्नि बोधतनरेन से स्वामी विवेकानंद बनाने की गाथा से कौन भारतीय अपरिचित है।भारत के युवाओं के खोए हुए आत्मविश्वास को पुनः लौटने के लिए जितना बड़ा योगदान विवेकानंद ने किया है, वह अतुलनीय है। उनके ओजस्वी भाषण पढ़कर आज भी हज़ारों युवा मन आंदोलित होते हैं। ”*********************************
काली काली घिरी घटाएँ
मुंडेरी पर लटकी आएँ,
हैं जल से वो लदी हुई
कब भेहरा के वो बह जाएँ,
किस ऋतु का ये कैसा मौसम
चारों तरफ़ घनेरा ।।
*******************
सच
सच कहूं तो, आसान नहीं सच कह पाना,
और कठिन बड़ा, सच सुन पाना!
सच का दामन, ज्यूं कांटों का आंगन,
चुभ जाते हैं, ये अक्सर,
कठिन बड़ा, ये पीड़ सह पाना!
***************
दूर हों अब ये अँधेरे...
उस गगन के पार भी क्या,है बसा संसार कोई?
स्वप्न है या कामना है ,जागती हूँ या कि सोई?
तैरते इन बादलों का ,राज क्या है जानना है
नील लोहित नभ छुपाए, राज मेरा मानना है।
*****************
आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें
आप का दिन मंगलमय हो
कामिनी सिन्हा
आज की प्रस्तुति का विषय अत्यंत ही संवेदनशील और सराहनीय है। ऐसे कई अंक और इसे युवा पाठकों तक पहुंचाने की आवश्यकता है।
जवाब देंहटाएंमेरी शुभकामनाएं और बधाई।।।।।
बहुत सार्थक और सुंदर चर्चा प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंआपका आभार कामिनी सिन्हा जी|
स्वामी विवेकानंद जी के बारे में उत्तम जानकारी प्रस्तुत करता हुआ चर्चा मंच, आभार मेरी पोस्ट को भी स्थान देने के लिए!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर आगाज और सराहनीय भूमिका ।
जवाब देंहटाएंयुवाओं को प्रेरणा देता अति सुंदर अंक ।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत शुक्रिया । प्रिय कामिनी जी, आपका बहुत बहुत आभार । आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐🙏🙏
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति प्रिय सखी।पठनीय और सार्थक एवं संदेशप्रद सूत्रों के मध्य अपनी रचना को पाकर उत्साहित हूँ।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं,आपका आत्मीय आभार
जवाब देंहटाएंअहा! अविस्मरणीय अंक कामिनी जी, स्वामीजी के ओजमय संदेश युवा वर्ग के लिए प्राणवायु हैं।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई शानदार सृजन के लिए।
भूमिका से लेकर अंत तक सभी कुछ अभिराम ।
शानदार चर्चा में मेरे सृजन को स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
आने वाले सभी पर्वों के लिए सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
सादर सस्नेह।
बहुत ही बेहतरीन रचना संकलन है Ma'am 💐💐। आपके इस चर्चा मंच की बेहतरीन रचनाओं को पढ़कर हमें बहुत अच्छा लगा। और बहुत कुछ सीखने को मिला है। शुक्रिया Ma'am 🙏.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक रचना से सजा सुंदर संकलन कामिनी जी।
जवाब देंहटाएंअपनी रचना को अंक के शीर्षक और भूमिका में पढ़कर अभिभूत हूँँ।
स्नेह देने के लिए अत्यंत आभार।
सस्नेह शुक्रिया कामिनी जी।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता संग्रह... आपको तहेदिल से आभार हमें एक ही जगह इतनी अच्छी रचनाये पढ़ने को मिली
जवाब देंहटाएं