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शुक्रवार, जनवरी 07, 2022

'कह तो दे कि वो सुन रहा है'(चर्चा अंक-4302)

सादर अभिवादन। 

शुक्रवारीय  प्रस्तुति में आपका स्वागत है

शीर्षक व काव्यांश आ.अमृता तन्मय जी की रचना 'कह तो दे कि वो सुन रहा है' से-

 सच में, कोई भी रागात्मक संबंध रूपाकार होकर जीवन-छंद-लय को समूचा घेर लेता है । पर जीवन राग का कोई विरागी सहचर,  उससे भी गहरा होकर एक अरूपाकार आवरण बनकर,  कवच की भांति अस्तित्व को ही घेरे रहता है । कोई कैसे सम्वेदना का अनकहा आश्वासन बनकर हमारे भावना-जगत् में हस्तक्षेप करने लगता है । वह हमारी उन मूक संभावनाओं को सतत् सबल बनाता रहता है जिसकी हमें पहचान तक नहीं होती है । हम ऐसा होने के क्रम में  इतने अनजान होते हैं कि इस सूक्ष्म बदलाव के प्रति हमें ही आश्चर्य तक नहीं होता है । जब कभी आँखें खुलती है तो अपने ही इस रूप पर हम अचंभित रह जाते हैं । लेकिन धीरे-धीरे वह निजी जीवन में भी एक निश्चयात्मक स्वर बन कर अस्फुट वार्तालाप करने लगता है । हमें भरोसा दिलाता रहता है कि वह हर क्षण हमें दृढ़ता से थामें है और हम सुरक्षित हैं । 

आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

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बालगीत "आसमान में कुहरा छाया" 

चिड़िया चहकीमुर्गा बोला,
जब हमने दरवाजा खोला,
लेकिन घना धुँधलका पाया।
आसमान में कुहरा छाया।।

 नियति के आश्वासन जनित,  अपरिभाषित आत्मीय संबंधों के स्मरणाश्रित अतिरेकी बातें, अस्तित्व विहीन हो कर भी, अकल्पित अर्थों को अनवरत पाती रहतीं हैं । वें पल-पल पर-परिणति को पाते हुए भी बनीं रहतीं हैं एक अपरिचित एकालाप-सी । नितान्त एकाकी होकर भी एकाकार-सी । अन्य विकल्पों से एक निश्चित दूरी बनाए हुए पर समानांतर-सी ।  एक ऐसे प्रश्न की भांति जो प्रश्न होने में ही पूर्ण हो । जिसे सच में कभी भी किसी उत्तर की कोई आवश्यकता होती ही नहीं हो । बस उन आत्मीय संबंधों में स्वयं को असंख्य कणों के आकर्षणों में पाना अविश्वसनीय आश्चर्य ही है ।        
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उधो ! तुम अपनी जतन करौ
हित की कहत कुहित की लागै,
किन बेकाज ररौ ?
जाय करौ उपचार आपनो,
हम जो कहति हैं जी की।
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प्रमुख समस्या बनी है आज
मानते नहीं बच्चे बड़ों की बात
ज्ञान उपदेश वे नहीं समझते
भय दबाव से वे नहीं डरते
मोबाइल के संग में उलझे रहते
पढ़ाई-लिखाई में सहज न होते
माता पिता को समय नहीं है
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लाल के हुए मेरे लाला, 
पिया जी तुम्हें दादा कहेगा ।
लागे है कृष्ण गोपाला, 
पिया जी तुम्हें दादा कहेगा ।।

भोर में सूरज सा चमकेगा, 
दिन में उजाला करेगा...
पिया जी तुम्हें दादा कहेगा ।
तुम पूर्ण गगन सम विस्तृत हो, चंद्र-सूर्य से हो न्यारे।
चमचम तारों से चमके,बनकर जीवन के उजियारे।
मैं घूम रही हूँ पृथ्वी सी,पाती हूँ तुमसे सारे रस।
जलधि सा छलके प्रेम सदा, आलिंगन में लेता कस।
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सत्ता का ताज भले ही सर बदलता रहा
राजाओं का फरेबी मन कभी न बदला
चाहे वो सत्ता का गीत बजा रहा 
या फिर बिन सत्ता पी रहा हाला
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बोरा भर ओल्यू रा लावे
बाँट्य पहर पखवाड़ा में।
भीगी पलका पला सुखावे 
फिरे उळझती बाड़ा में।
डाळा डागळ डोळ्या फिरती
सुना सूखा हैं  दरबार।।
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वायु सेना में कार्यरत पति की पत्नी होने के नाते भारत के उन तमाम हिस्सों का अवलोकन विस्तार से कर सकी जो आम जन की पहुँच के बाहर रहते हैं। भिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के सरोकारों को नजदीक से देख सकी। पति की इस वायुसेना की साहसिक यात्रा में मेरी गणमान्य व्यक्तियों से भेंट आदि ही मेरे जीवन का हासिल कहा जा सकता है। बात काफ़ी पुरानी है लेकिन वर्ष 1998 में मैं राजीव (पति) के साथ पूर्णिया बिहार के एयर फ़ोर्स 
आज सुबह लगभग 5:00 बजे  मैं जब सो रही थी तभी मुझे एक सपना आया सपने में मैं अपने चचेरे भाई को यह कहते हो ताने मार रही थी कि कितने की बोली लगी  आपकी भैया जी?लड़की वालों की नजर में आप की कितनी कीमत है कितने में आपको खरीदना पसंद किया? और ये बात मैंने लड़की वालों के सामने बोली जिसके चलते रिश्ता ही नहीं जुड़ सका|और मुझे बहुत ही डांट पड़ी|मैंने कहा बिकना तो सभी लड़कों को हैं एकदिन, बोलीं तो सबकी लगेगी|
शिल्पा के पति को गुजरे दो ही महीने हुए थे। लेकिन दो महीने में ही उसके बेटा और बहू का उसके प्रति रवैया एकदम बदल गया था। पहले जो बेटा-बहू मम्मी-मम्मी कहते नहीं थकते थे, हर बात में उसकी राय लेते थे, उसका ख्याल रखते थे, पति के जाने के बाद उन्हीं बेटा-बहू के लिए वो सिर्फ़ एक नौकरानी भर रह गई थी। नौकरानी और वह भी मुफ्त की। 
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9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सार्थक चर्चा प्रस्तुति!
    आपका आभार अनीता सैनी दीप्ति जी|

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  2. बहुत ही शानदार प्रस्तुति सभी अंक एक से बढ़कर एक है! हर एक अंक की अपनी-अपनी विशेषता है हर एक अंक कुछ ना कुछ सिखा रहा है! "मैं बस उसकी अनुभूति हूं" तो अत्यंत ही खूबसूरत वा मंत्रमुग्ध करने वाला सृजन जितनी तारीफ की जाए कम है!इतनी शानदार प्रस्तुति के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और मेरे लेख को शामिल करने के लिए आपका तहे दिल से आभार🙏

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  3. चर्चा अंक में मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार प्रिय अनीता जी सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐💐

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  4. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, अनिता दी।

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  5. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें अनीता जी, और धन्‍यवाद कि मेरी रचना को इस महत्‍वपूर्ण चर्चामंच पर स्‍थान दिया गया, खासकर अमृता तन्मय जी की रचना 'कह तो दे कि वो सुन रहा है' ने तो आध्‍यात्‍म के चरम पर पहंचा दिया ा

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  6. बहुत ही सुंदर सारगर्भित अंक, लगभग हर रचना पर गई, सभी पठनीय । आपके श्रमसाध्य कार्य को नमन और वंदन । मेरे गीत को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार । बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको अनीता जी ।

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  7. अति सुन्दर प्रस्तुति से यूं ही इस मंच की शोभा बढ़ाने के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ एवं आभार ।

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  8. बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति

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