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बुधवार, सितंबर 22, 2010

"प्रिय है मुझे, मेरा पागलपन......"(चर्चा मंच अंक - 285)

आज के चर्चा मंच में प्रस्तुत हैं 
कुछ ब्लॉगरों की
अद्यतन पोस्टों की 
बिना किसी भूमिका के
सीधी-सपाट चर्चा!
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* सब कुछ पत्रकारिता के फटीचर समय को दर्शाने वाली फिल्म ‘पीपली लाइव’ के समान है। बस फर्क सिर्फ इतना है कि पीपली लाइव का नायक नत्था जहां अपनी पुश्तैनी ज...

ताऊ महाराज धृतराष्ट्र और ताई महारानी गांधारी के बारे में आप 
अथ: श्री ताऊभारत कथा और महाराज ताऊ धृतराष्ट्र द्वारा गधा सम्मेलन 2010 
आहूत पढ चुके हैं. अब आगे... 

 चूड़ियाँ ये आपकी चूमकर गोरी कलाई, 
ढीठ बनकर आपकी!
 मुँह चिढ़ाती हैं हमें, चूड़ियाँ ये आपकी! 
रंग इन पर तब सजा, केतकी के फूल-सा! 
जब रिझाती हैं हमें, चूड़ियाँ...



24 सितंबर 2010----यानि वो दिन, 
जिस पर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक को लेकर 
आने वाले फैसले के मद्देनजर पूरे देश की निगाहें इस समय टिकी हुई है और...

'अदा'
राँची में पैदा हुई, दिल्ली थी कर्मभूमि अब ओट्टावा 
मेरा फोटो
....मेरा नाम स्वप्न मंजूषा 

पुराना सामान नई पैकिंग....हर्ज़ क्या है...! 
कुछ दिनों पहले किसी से मेरी बात हो रही थी आज के रिमिक्स गानों के विषय में ...
मेरी परिचिता को बहुत बुरा लगता है कि आज कल पुराने गानों को नया रूप देकर गा...
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मेरा फोटो
मेरा संपादक हमेशा चाहता था कि मैं दुनिया के सामने आऊं मगर अब कोई इच्छा बाकी नहीं थी 
इसलिए चाहता था कि अपने लेखन से कुछ ऐसा कर जाऊं ताकि कुछ लोगों का जीवन ब...

मेरा फोटो
विश्‍वभर में सभी धर्म की स्‍थापना लोगों में उदारता विकसित करने के लिए ही हुई है। 
दुनिया के सभी धर्मों का उदय पशु को मनुष्‍य बनाने के लिए हुआ है , इसलिए उसम...

 अर्चना चावजी

मुझे पता है- मैं कौन हूँ? मैं हर समय रहने वाली आत्मा हूँ, 
जो न कभी मरूँगी,न मिटूंगी, बस---रहूँगी और डटूंगी, 
हर उस जगह पर जो मेरे लिए बनाई गई है। मुझे पता है-.
 क्षणिकाएँ
 १) रेखाएँ हर नये दर्द के साथ बढ़ जाती है नयी रेखा हाथ में और लोग कहते हैं 
हाथ के रेखाओं में भविष्य छिपा है ...
 २) चाँद आसमान में अटका तारों में भटका...

 वक्त के साथ मेरी कलम अब खामोश होने लगी सन्नाटे में शब्द तलाशते 
अहसासों की स्याही सूखने लगी कोरे कागज़ पर मौन जड़कर लिखना सार्थक कर देती हूँ ...

... मनुष्यों की आत्मा के लिए शुभ और अशुभ ये दोनों ही फल बाधक बताये गए हैं . निरंतर शुभ फलों का रसास्वादन करते करते आदमी में कर्तापन का अभिमान होने लगता है . यद...

रंगलाल को बहुत ज़ोर से आ रहा था लेकिन वो कर नहीं पा रहा था 
करने में और कोई दुविधा नहीं थी परन्तु करता कैसे मुम्बई की भीड़ में एकान्त की सुविधा नहीं थी ...


My Photo
क्या सामर्थ्यवान लोगों को दहेज देना चाहिये? 
मेरे ब्लाग www.veerbahuti.blogspot.com/ पर एक लघु कथा-- 
दो चेहरे पढ कर खुशदीप सहगल जी ने अपने ब्लाग http://desh...

आज हर दिल अजीज, सभी ब्लोगर्स के जन्म दिन को जोर शोर से मनाने वाले बी.एस. पाबला जी का जन्म दिन है. 21 सितम्बर का दिन मुझे याद है क्योंकि इस दिन मैंने पाबला ...

मेरा फोटो
सम्मोहन 
यह प्यार है अनजानों का , है अहसास चंद लम्हों का , कैसा अजीब सा आकर्षण , या है कोई सम्मोहन , मैने जब से उसे देखा है , मेरे उसके बीच रिश्ता क्या है , मैं नहीं ... 


* पोस्टर ** सत्येन्द्र झा* हॉल में सिनेमा बदल गया था।
सिनेमा हॉल के कर्मचारी शहर की दीवारों पर नए पोस्टर चिपकाने आये थे। 
वे पुराने पोस्टरों को फार-फार ..


 अपनी ख़ामोशी में भर लूं तुम्हारी हिचकी या कि तुम्हारे मन का हर ज़ख्म चुरा लूं । वो जो चुभते हैं होले-होले यूँ भी कई रंग घोले उन आंसूओं को ही हरदम चुरा लूं । क...

मैं , एक सन्यासी आसक्ति और विरक्ति से दूर मात्र एक दृष्टा साधक की प्रतीक्षा में आता है नया साधक हर बार अपना पांव रख बढ़ जाता है अ...

राख बनती ख्वाहिशें


कहा था यूँ 

कि 

अब जँचती हैं..

तुम्हारी..

कजरारी आँखें 



यह पूरा सप्ताह अस्पताल में ही गुजरा । लेकिन एक डॉक्टर के रूप में नहीं , बल्कि अटेंडेंट के रूप में । पिताजी को गंभीर रूप से अस्वस्थ होने के कारण अस्पताल में...
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24 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सार्थक चर्चा है शास्त्री जी ।

    जवाब देंहटाएं
  2. सीधी स्पष्ट एवं सुन्दर चर्चा शास्त्री जी.....
    आभार्!

    जवाब देंहटाएं
  3. चर्चा मंच अच्छा सजा है पर आपके दोहों की याद आती है |बधाई |मेरा ब्लॉग सम्मिलित करने के लिए आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी चर्चा शास्त्री जी एवं लिंक्स!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
    काव्य प्रयोजन (भाग-९) मूल्य सिद्धांत, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सार्थक और अच्छी चर्चा है ..कुछ छूते हुए लिंक्स मिले ....आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर, सार्थक चर्चा शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्छी चर्चा। अच्छे लिंक्स। हमारे ब्लॉग को इस मंच पर सम्मान देने के लिए आभा।बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

    देसिल बयना-गयी बात बहू के हाथ, करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!

    जवाब देंहटाएं
  9. शास्त्री जी,
    मेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान और सम्मान देने केलिए मन से आभार| अन्य चर्चाएँ पढ़ी, सभी स्तारिये हैं| इस मंच की सार्थकता और गतिशीलता यूँ हीं बनी रहे, शुभकामनाएं|

    जवाब देंहटाएं
  10. शास्त्री जी बहुत ही सार्थक चर्चा लगाई है काफ़ी लिंक्स मिले और ज्यादातर सभी पर गयी बस कुछ रह गये हैं………………आपकी मेहनत सफ़ल रही।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर चर्चा है ... सुनकर लिंक भी हैं ... मुझे भी स्थान देने का शुक्रिया ....

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सार्थक चर्चा है, अच्छे लिंक्स, |चर्चा मंच पर मेरा ब्लॉग सम्मिलित करने के लिए आभार...

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत बढ़िया चर्चा!
    उनकी चूड़ियों को इस चर्चा में
    शामिल करने के लिए आभार!

    जवाब देंहटाएं
  14. Dr Roop Chand ji

    manch par kavita ko sthaan dene ,sarahne va hauslaafzaaii ka tahe dil shukriya

    Sundar ,bhavpoorn rachnao ke links bhee saath main ..Thanks a lot

    Regards

    जवाब देंहटाएं
  15. सुन्दर चिट्ठों से सजी रंगीन चर्चा बहुत ही आकर्षक और बेहतरीन रही..

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत सार्थक चर्चा, बहुत सारे लिंक यही पढे गए इसके लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत सुन्दर चर्चा की शास्त्री जी.... पोस्ट को सम्मिलित करने के लिए आभारी हूँ ...

    जवाब देंहटाएं

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