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बुधवार, जनवरी 27, 2021

"गणतंत्रपर्व का हर्ष और विषाद" (चर्चा अंक-3959)

 बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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गणतन्त्र दिवस "आओ तिरंगा फहरायें" 

गणतन्त्रदिवस की शुभवेला में,
आओ तिरंगा फहरायें।
देशभक्ति के गीत प्रेम से,
आओ मिल-जुलकर गायें।।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक', उच्चारण 
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अंतर
”बिटिया लकड़ियों से छेड़खानी नहीं करते काँटा चुभ जाएगा।”

विजया की दादी माँ ने अलाव में कुछ और कंडे डालते हुए कहा।

”अब भगीरथ की दोनों बहुओं को ही देख लो, छोटीवाली तो पूरे गाँव पर भारी है। शदी-विवाह में सबसे आगे रहती है। मजाल जो उसकी ज़बान से एक भी गीत छूट जाए।”

अनीता सैनी, अवदत् अनीता 
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दूसरे किनारे कहीं 
दूर तक है नीला समंदर,
खुला हुआ बंदरगाह,
उफ़क़ पोशीदा,
उड़ने की
नियत
लिए बैठा हूँ, कुछ अलग से - -
जीने की हसरत लिए
बैठा हूँ। 
शांतनु सान्याल, अग्निशिखा :  
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सैनिक...धन्य कोख 
 
धन्य धरा,माँ नमन तुम्हें करती है
धन्य कोख,सैनिक जो जन्म करती है।

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शपथ लेते, 
वर्दी देह पर धरते ही 
साधारण से 
असाधारण हो जाते
बेटा,भाई,दोस्त या 
पति से पहले,
माटी के रंग में रंगकर 
रक्त संबंध,रिश्ते सारे
एक ही नाम से 
पहचाने जाते।
Sweta sinha, मन के पाखी  
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हमारा गणतंत्र-दिवस कितना जानते हैं आप और हम अपने गणतंत्र-दिवस को? कोई पूछे कि पहली गणतंत्र दिवस परेड देश की राजधानी में कहां हुई थी, तो सबसे पहले उत्तर आएगा -'राजपथ' नहीं ! दिल्ली में 26 जनवरी, 1950 को पहली गणतंत्र दिवस परेड, राजपथ पर न होकर इर्विन स्टेडियम (आज का नेशनल स्टेडियम) में हुई थी. इसी प्रकार गणतंत्र दिवस २६ जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है, ‘छब्बीस जनवरी का शुभ दिन आ गया आज खुशियाँ लेकर –‘ प्रत्येक 26 जनवरी को हम अपने गणतंत्र दिवस की जयंती मनाते हैं.  
गोपेश मोहन जैसवाल, तिरछी नज़र  
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मन कह न पाए अलविदा 
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा, 
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सबसे पहले प्रत्येक सच्चे भारतीय को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आज दिल्ली में हमारे साथ साथ सम्पूर्ण विश्व ने तीन परेडें देखीं। यह अपने आप में अभूतपूर्व है। पहली परेड राजपथ से जो हृदय को उल्लसित कर गया। दूसरी किसानों की परेड। जब 12 बजे से ट्रैक्टर परेड की अनुमति मिलने के वाबजूद 8:43 पर ही किसानों ने टीकरी बॉर्डर पर बैरिकेडिंग तोड़कर विमल कुमार शुक्ल 'विमल', मेरी दुनिया  
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विकास नैनवाल 'अंजान', एक बुक जर्नल  
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आज के लिए बस इतना ही।
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16 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा लिंक्स आज की
    मेरी रचना की लिंक शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुंदर सराहनीय चर्चाप्रस्तुति आदरणीय सर।
    मुझे स्थान देने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया आपका
    बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर सूत्रों से सजी श्रमसाध्य प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर प्रस्तुति ! पर अप्रूवल वालों से मन कुछ खिन्न हो जाता है !

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी,
    सदैव की भांति आपके श्रम का आईना है आज की देशभक्ति से ओतप्रोत चर्चा .... पुनः हार्दिक बधाई देश के गणतंत्र के उत्सव को मिलजुलकर सेलीब्रेट करने की 🙏
    यह आपकी सदाशयता है कि आपने मेरे गीत को चर्चा में शामिल किया है।
    हार्दिक आभार 🙏
    सादर,
    डॉ. वर्षा सिंह

    जवाब देंहटाएं
  6. धन्यवाद शास्त्री जी । आज तो चर्चा में गंज रहा है देश राग ! शुभकामनाएं और बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह गणतंत्र दिवस के गौरव व गरिमा को स्थापित करता बहुत ही सुन्दर एवं संग्रहणीय संकलन आज का ! मेरी प्रस्तुति को स्थान देने के लिए आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्छी गणतंत्र विषयक चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. सराहनीय चर्चा ।
    सुंदर लिंकों से सुसज्जित , गणतंत्र पर शानदार सामग्री
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरे मुक्तक इस चर्चा में लेने के लिए हृदय तल से आभार।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  10. गणतंत्र दिवस के पावन पर्व में कृषक आंदोलन के बहाने राष्ट्र विरोधी तत्वों ने लाल किला को जिस तरह से क़ब्ज़ा किया, वो देश की आंतरिक सुरक्षा व एकता पर प्रश्न करता है, विशेषतः गृह मंत्रालय को इसका स्पष्टीकरण देना चाहिए ताकि लोगों में असुरक्षा की भावना न उभरे, चर्चा मंच की पेशकश हमेशा की तरह शानदार है, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार - - नमन सह।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत खूबसूरत चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  12. आज की चर्चा का रंग केसरिया है. बड़ा मनभावन है.
    झंडा ऊँचा रहे हमारा ! विजयी विश्व तिरंगा प्यारा !
    धन्यवाद,शास्त्रीजी.
    देश की विविधता को प्रतिबिंबित करते इस अंक में मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए हार्दिक आभार.जय हिंद.

    जवाब देंहटाएं
  13. आदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार !
    आज की देशप्रेम से सुसज्जित चर्चा को जितने शानदार तरीके से आपने सजाया है, जितनी तारीफ़ की जाय कम है..मेरी रचना,जो गणतंत्र को ही समर्पित है, उसे आपने चर्चा में शामिल किया..जिसके लिए बहुत आभारी हूँ..इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपको असंख्य बधाई एवं धन्यवाद..सादर..जिज्ञासा सिंह..

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत-बहुत आभारी हूँ आदरणीय सर मेरी रचना अंक में शामिल करने के लिए।

    सादर🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत सुन्दर, सराहनीय प्रस्तुति, हार्दिक बधाई!जय हिन्द!
    मेरी भी रचना को स्थान देने के लिए आभार 🙏💐

    जवाब देंहटाएं

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