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मंगलवार, मार्च 23, 2021

"सीमित है संसार में, पानी का भण्डार" (चर्चा अंक 4014)

सादर अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

(शीर्षक और भूमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से ) 

सीमित है संसार में, पानी का भण्डार।

व्यर्थ न नीर बहाइए, जल जीवन आधार।।

जल ही जीवन है और जीवन आहिस्ता-आहिस्ता हमारी मुट्ठी से फिसलता जा रहा है 

और हम......अब भी सचेत नहीं 

खैर,चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर......

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दोहे "सीमित है संसार में, पानी का भण्डार" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

किया किसी ने भी अगर, पानी को बेकार।
हो जायेगा एक दिन, वो जल को लाचार।।
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ओस चाटने से बुझे, नहीं किसी की प्यास।
जीव-जन्तुओं के लिए, जल जीवन की आस।।
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दर्पण

  ”लगता है सैर पर निकला हो?” 

कहते हुए, मंदी का चश्मा फिसलकर नाक पर आ गया । 

मोटी-मोटी आँखों से दूध और ब्रेडवाले को घूरने लगी।

”नहीं कॉलोनी की गलियों में दूध और ब्रेड की महक फैलाने निकले हैं, 

दिख नहीं रहा तुम्हारी अक्ल पर पत्थर पड़े हैं क्या?”

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।।दोहे।।

होली के त्यौहार पर, बढ़ती कीमत देख ।

घनी घटा सी घिर गई, आकुलता की रेख ।।


जीवन-यापन प्रश्नचिन्ह, हाल हुए बेहाल ।

सुरसा मुख सी बन गई, महंगाई विकराल ।।

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रूपसी का भ्रमजाल!

नागिन-सी जुल्फों का जलवा,

चमके चाँद-सा चेहरा।

टँके नयन सितारों जैसे,

शुभ्र सुभग-सा सेहरा।

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सही सोच के अभाव की समस्या




शिवलिंग और शालिग्राम

उमर के अंतिम पड़ाव तक आते-आते 

मन से खो जाए हर नुकीलापन 

तो आत्मा का शिवलिंग 

भीतर प्रकट हो ही जाता है !

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अहा ! कितने व्यूअर् होंगे !

अपनी चादर में पैर रुकते नहीं जमाने के

ऐसे फैला कि हक उसी का है ।

चुप है दूजा कि छोड़ रहने दो, कलह न हो

वो तो निपट कायर ही समझ बैठा है।

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बड़की को पढ़ाएंगे
छोटकी तो, नौकरी वाली ही लायेंगे
बड़ी अम्मा ने अपनी बहुओं के बारे में जब मुझे बताया 
तो मैंने उन्हें ये भी कहता हुआ पाया 
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ओ री गौरैया ! बिन तेरे आंगन सूना

याद कर देखिए ! कितने दिन हो गए आपको सुबह-सुबह गौरैया का मधुर कलरव सुने ! कितना वक्त बीत गया उसे घर के आँगन, बाल्कनी, छत या किसी मुंडेर पर कुछ चुगते, फुदकते देखे ! अंतिम बार कब उसके चहकने से सकारात्मकता का आभास हुआ था---------------------100 करोड़ रुपये वाले मंत्री जी को बनाए प्रेरणास्रोत!
"100 करोड़ महीने की कमाई वाले मंत्री जी से यह सीख मिलती है कि लक्ष्य ऊँचा रखें! भलाई और मलाई, दोनों इसी में हैं!"-------------------चलते चलते आज का अनमोल विचार....
परमात्मा के हर फैसले पर हमे खुश रहना चाहिए

यह हंसी भी अलग-अलग रूपों में फायदा देती है।

अपने मित्रों को हंसाओ वह और अधिक प्रसन्न होंगे।

अपने दुश्मनों को हंसाओ वह आप से कम घृणा करेगा।

एक अजनबी को हो जाओगे तो वह आप पर भरोसा करेगा।

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आज का सफर यही तक 

आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें 

कामिनी सिन्हा 

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11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर और सार्थक चर्चा मैं पूरी कोशिश करूंगा सभी रचनाकारों के ब्लॉग पर पहुंचकर उन्हें पढ़ने की साथी मेरे ब्लॉग की पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत आभार आदरणीय कामिनी जी

    जवाब देंहटाएं
  2. आपका संकलन वैविध्यपूर्ण एवं सार्थक है क्योंकि आपने गुणवत्ता के आधार पर रचनाएं चुनी हैं । अभिनंदन एवं मेरे आलेख को स्थान देने के निमित्त आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर और सार्थक चार्चा।
    आपका आभार आदरणीया कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति कामिनी दी। बेहतरीन लिंक...।
    मेरी लघुकथा को स्थान देने हेतु दिल से आभार।
    सभी को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. जलदिवस पर प्रेरणा देती भूमिका के साथ पठनीय सूत्रों से सजी चर्चा, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया और सार्थक चर्चा प्रस्तुति के लिए ढेरों शुभकामनाएँ और बधाईयाँ। चर्चा में मुझे भी स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति । सभी सूत्र बेहतरीन हैं। चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई।मेरे सृजन को प्रस्तुति में सम्मिलित करने के लिए सहृदय आभार कामिनी जी ।

    जवाब देंहटाएं
  8. आप सभी को हृदयतल से आभार एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही शानदार चर्चा प्रस्तुति.. सभी लिंक्स बेहद उम्दा एवं पठनीय...। मेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद कामिनी जी!

    जवाब देंहटाएं

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