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बुधवार, जनवरी 12, 2022

"सन्त विवेकानन्द" जन्म दिवस पर विशेष (चर्चा अंक-4307)

मित्रों!

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

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दोहे, जन्म दिवस पर विशेष "सन्त विवेकानन्द" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

ऋषियों का आवागमन, जहाँ न होता बन्द।

मेरे भारत देश में, हुए विवेकानन्द।।

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रामकृष्ण गुरुदेव के, शिष्य विवेकानन्द।

हुए अवतरित भूमि पर, बनकर करुणाकन्द।।

उच्चारण 

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मायड़ भाषा 

राजस्थान सिरमोड जड्यो 

मायड़ भाषा माण सखी।।

किरणा झरतो चानणियो है

ऊँचों है सनमाण सखी।।

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तुम! 

"सुनो.. 
तुम अथाह हो, मेरे अंतस के सागर.. तुम विराट हो, मेरे आकाश के पर्वत.. तुम अविरल हो, मेरे अध्याय के प्रमाण.. तुम संगीत हो, मेरे कण-कण के राग.. तुम सौभाग्य के परिचायक रहना!" ..  
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ज्योति एक ही हर अंतर में प्रमाद, अकर्मण्यता और सुविधाजीवी होना हमारे  लिए त्यागने योग्य है। प्रमाद का अर्थ है जानते हुए भी देह, मन व आत्मा के लिए हितकारी साधनों को न अपनाना तथा अहितकारी कार्यों को स्वभाव के वशीभूत होकर किए जाना। अकर्मण्यता अर्थात अपने पास शक्ति व सामर्थ्य होते हुए भी कर्म के प्रति रुचि न होना तथा दूसरों पर निर्भर रहना। सुविधजीवी होने के कारण हम देह को अधिक से अधिक विश्राम देना चाहते हैं, पर इसका परिणाम दुखद होता है जब एक दिन देह रोगी हो जाती है। स्वयं के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान न होने के कारण आत्मा का पोषण करने की बजाय हम उसके विपरीत चलना आरम्भ कर देते हैं। आत्मा सभी के भीतर समान रूप से व्याप्त है, उसमें अपार शक्तियाँ छिपी हैं। हर किसी को उसके किसी न किसी पक्ष को उजागर करना है। साधक को हर क्षण सजग रहकर ऐसा प्रयत्न करना होगा कि ईश्वर का प्रतिनिधित्व उसके माध्यम से हो सके। वह ईश्वर के प्रकाश को अपने माध्यम से फैलने देने में बाधक ना बने। 

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हूँ कितनी सक्षम 

हूँ कितनी सक्षम

 अपने आप में

जब बर्तोगे मुझे 

 तभी जान पाओगे |

Akanksha -asha.blog spot.com 

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'क्राइम नेवर पेज़' का रोमांचक उदाहरण है 'गुनाह का कर्ज' 

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"पत्थरदिल मर्द बेदर्द कहलाता" हूँ मैं... 

दिल में सौ दर्द छिपे, करूँ किससे शिकवे गिले।

मर्द हूँ रो ना सकूँ , जख्म चाहे हों मिले।

घर से बेघर हूँ सदा फिर भी घर का ठहरा,

नियति अपनी है यही, विदा ना अश्रु ढ़ले।। 

Nayisoch 

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सिर्फ ऐतिहासिक उपन्यासकार ही नहीं थे वृन्दावन लाल वर्मा जी 

आज प्रसिद्द उपन्यासकार वृन्दावन लाल वर्मा जी का जन्मदिन है. उनका जन्म आज ही के दिन १८८९ उत्तर प्रदेश के झाँसी जिले के मऊरानीपुर को हुआ था. वृन्दावन जी को मुख्य रूप से ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में जाना जाता है. बहुत से कम लोगों को ये जानकारी है कि उन्होंने सामाजिक उपन्यास भी कम नहीं लिखे हैं. ऐसा होना निश्चित रूप से उनकी लेखकीय प्रतिभा का पूरा सम्मान नहीं है. उनको ऐतिहासिक उपन्यासकार के रूप में स्वीकारने का मुख्य कारण उनके दो प्रमुख उपन्यास ‘गढ़ कुंडार और ‘मृगनयनी भी हैं. आम लोगों ने उनको इसी कारण से विशुद्ध ऐतिहासिक लेखक या कहें कि उपन्यासकार के रूप में जाना है.

इस पोस्ट का उद्देश्य वृन्दावन लाल वर्मा जी के बारे में यही जानकारी देनी है कि वे मात्र ऐतिहासिक लेखक नहीं हैं, न ही वे विशुद्ध उपन्यासकार हैं बल्कि उन्होंने उपन्यास के अलावा अन्य कृतियों की भी रचना की है

रायटोक्रेट कुमारेन्द्र 

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कविता : "आओ तुम्हे सपनो के गलियों की सैर कराऊँगा" 

कुछ बातें आओ मै तुमको सुनाता हूँ | 

इस सुनसान में नहीं आओ ,

तुम्हे सपनो के दुनिया में ले जाता हूँ | 

चाँद -तारे के गलियारों में तुम्हे घुमाउँगा ,

अगर वक्त बचे तो सूरज के घर भी ले जाउँगा | 

तितलियोँ से मिलाकर उनसे बाते करवाउँगा ,

रैंबो को बहका कर उसके रंग चुरा लाऊंगा | 

फूल के पंखुड़ियों से नाव बना कर ,

तुम्हे उस छोर ले जाऊंगा | 

ये बात मैं सबको बताऊंगा ,

आओ तुम्हे सपनो के गलियों की सैर कराऊँगा | 

कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 12th 

अपना घर 

बाल सजग 

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'सिलसिला' (रुबाई) 

न तुम्हारे हो सके हम, न किसी और ने थामा हमको,

ताउम्र मुन्तशिर रहे हम, ऐसा सिलसिला दे दिया तुमने! 

कभी कहा करते थे तुम, हमें इश्क करना नहीं आता,

तुम्हें तो इल्म ही नहीं, कितने आशिक पढ़ा दिये हमने! 

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कहानी- बकरियाँ जात नहीं पूछतीं 

‘हुर्र...हुर्र....हट हट...हिटो रे हिटो....गुडबुड गुडबुड गुडबुड गुडबुड गप्प...आरे..आरे...’ शशांक ने अपनी लिरिक्स बनाई थीं जिन्हें वो अपनी ही बनाई धुन पर दिन भर गाता था. न उसने रैप सीखा न कोई और संगीत लेकिन उसकी इस ‘गुडबुड गुडबुड गप्प....हिटो रे हिटो’ को कोई सुन ले तो थिरकने जरूर लगे. शशांक भी दिन भर अपनी इस धुन के संग थिरकता फिरता था. और उसके संग थिरकती थीं उसकी बकरियां. खूब धमाल मचाते जंगलों में शशांक और उसकी बकरियां. आजकल उसकी बकरियों के रेवड़ में नयी बकरियां भी आ गयी हैं. मोहन की बकरियां. 

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राजनीति 

तुमने समस्याओं को फाइलों में 
उलझाकर रखा था
चुनावी मौसमों में 
मंचन से रुझाया था
हाथों के इशारे कर-करके
जनता और नेताओं के
बिच की दूरीयों को 

कावेरी 

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यश मालवीय का गीत- राधा से ही नहीं जुड़े है मीरा से भी धागे 

यश मालवीय हिंदी के अप्रतिम गीत कवि हैं।इनका जन्म 1962 में कानपुर में हुआ था ।देश की सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में,साझा संकलनों में गीत अनवरत प्रकाशित होते रहते हैं।
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चलो बाँट ले आपस में मिल

सुख-दुःख आधा-आधा

गोकुल से बरसाने तक है

केवल राधा-राधा 

छान्दसिक अनुगायन 

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मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विद्रोही की रचना हिन्दी अपनाओ ! बंद सारे झगड़े हों हिन्दी के हों दोहरे ,छद, बंध, श्रृंगार,

चौपाई और गीत में ,रस की पड़े फुहार।।

रस की पड़े फुहार ,भाव के घन उमड़े हों,

हिन्दी अपनाओ !बंद सारे झगड़े हों ।।

विद्रोही ,मां के माथे ज्यों सजती बिन्दी,

भारत माता के  माथे, यूं सजती हिन्दी।। 

साहित्यिक मुरादाबाद 

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Watch: प्रिंसेज डायना का 'मिस्टर वंडरफुल' बनेगा ये PAK एक्टर 

हुमायूं सईद, प्रिंसेज़ डायना, डॉ हसनत ख़ान (आभार ट्विटर)
ब्रिटेन की दिवंगत प्रिंसेज डायना की
रीयल स्टोरी पर आधारित है नेटफ्लिक्स की सीरीज़ 
द क्राउन’, हार्ट सर्जन डॉ हसनत ख़ान के साथ
शादी करने के बाद पाकिस्तान बसना चाहती थीं
लेडी डायना, इस्लाम कबूल करने को भी थीं तैयार, 
इमरान की पूर्व पत्नी जेमिमा भी
डायना और डॉ ख़ान के अफेयर की रही हैं गवाह 

देशनामा 

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उपभोक्ता का डाटा में बदल जाना 

अब तो इन्फोमोनिक्स का युग आ चूका है जो आंकड़ों से जुड़ा है |डाटा आज की सबसे बड़ी पूंजी है यह डाटा का ही कमाल  है कि गूगल और फेसबुक जैसी अपेक्षाकृत नई कम्पनियां दुनिया की बड़ी और लाभकारी कम्पनियां बन गयीं है|डाटा ही वह इंधन है जो अनगिनत कम्पनियों को चलाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं |वह चाहे तमाम तरह के एप्स हो या विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साईट्स सभी उपभोक्ताओं  के लिए मुफ्त हैं |असल मे जो चीज हमें मुफ्त दिखाई दे रही है |वह सुविधा हमें हमारे संवेदनशील निजी डाटा के बदले मिल रही है |इनमे से अधिकतर कम्पनियां उपभोक्ताओं द्वारा उपलब्ध कराए  गए आंकड़ों को सम्हाल पाने में असफल रहती हैंजिसका परिणाम लागातार आंकड़ों की चोरी और उनके  दुरूपयोग के मामले सामने आते रहते हैं |साल 2020 में फेसबुक ने लगभग  छियासी बिलियन डॉलर और गूगल ने एक सौ इक्यासी  बिलियन डॉलर विज्ञापन से कमाए | 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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8 टिप्‍पणियां:

  1. स्वामी विवेकानंद जी को कोटि कोटि नमन।सभी लिंक्स अच्छे।सादर प्रणाम

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  2. स्वामी विवेकानन्द जी को सादर नमन। रोचक लिंक्स से सुसज्जित चर्चा। मेरी पोस्ट को इसमें शामिल करने हेतु आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. स्वामी विवेकानंद जी को शत शत नमन ! विविधरंगी विषयों पर आधारित सुंदर रचनाओं से सुसज्जित चर्चा मंच, आभार !

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  4. बहुत अच्‍छी चर्चा प्रस्‍तुति

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  5. स्वामी विवेकानंद जी को शत शत नमन
    बढ़िया संकलन
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद आदरणीय

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  6. उत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति... मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ. शास्त्री जी!
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  7. स्वामी विवेकानन्द को सादर स्मरण व वन्दन करते हुए कहना चाहूँगा कि यह अंक बहुत सुन्दर बन पड़ा है। तदर्थ साहित्य-रसिक आ. मयङ्क जी को स्नेहिल बधाई एवं मेरी रचना को इस सुन्दर अंक में स्थान देने के लिए आभार। सभी सुन्दर रचनाओं के लिए रचनाकार विद्वतजनों को भी हार्दिक बधाई!

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