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बुधवार, मई 26, 2021

"प्यार से पुकार लो" (चर्चा अंक 4077)

 सादर अभिवादन 

आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

(शीर्षक और भूमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से )

"अमल नीर बह रहा, मैल तो उतार लो।
वर्तमान कह रहा, भविष्य को सँवार लो।।"
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आदरणीय रविंद्र सर लगातार सात दिनों तक चर्चा मंच संभालते रहे उनकी 
कर्मठता को मेरा सत-सत नमन 
यही वो घडी है जब हमें एकजुट हो निस्वार्थ सेवा और सहयोग देनी है... 
वर्तमान की यही मांग है,जाति-धर्म सब भूल के मानवता को अपनाना...
 तभी हम अपना और आने वाली पीढ़ी का भविष्य सँवार सकते हैं।
आईये इसी संकल्प के साथ चलते हैं कुछ खास रचनाओं की ओर....
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गीत "प्यार से पुकार लो" 

डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री


मत करो कुतर्क को, सत्य स्वयंसिद्ध है,
मन को साफ कीजिए, पथ नहीं विरुद्ध है,
धर्म, प्रान्त-जाति के, बन्द अब विवाद हों,
मनुजता के नीड़ से, दूर सब विषाद हों,

खुशी के गीत




लिखूं कैसे खुशी के गीत, मन मेरा दुखी है

किसी के होंठ पे दिखती न मुझको वो खुशी है

जिसे चंद रोज़ पहले हमने तुमने की थी साझा
वो जा के दरमियाने सात परतों के छिपी है ।

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शायद फिरौती में माँगी गई रकम




 शास्त्रों में ईश्वर की तुलना आकाश से, आत्मा की सूर्य से, मन की चंद्रमा से और देह की पृथ्वी से की गई है। जिसमें सब कुछ टिका है, पर जो किसी पर आश्रित नहीं है, जब कुछ भी नहीं था तब भी जो था

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जय मातु भवानी

कर रहे हैं भक्त पुकार,
सुन ले हे मातु भवानी।
रक्षा के लिए गुहार,
सुन ले हे मातु भवानी।

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उठती हुई पीड़ा हो ,
या हो 
गिरता हुआ ,
मुझ पर अनवरत बरसता हुआ 
सुकूँ ,


दास्ताँ-ए-गाँव

इन नाजुक हाँथों से 

जिस दिन कलम की तेज धार निकलेगी, 

जिस दिन रिश्तों का लिहाज़ किये बिना, 

खुल कर रूढ़िवादी विचारधारा पर प्रहार करेगी, 

सराफत की नकाब ओढ़ कर बैठे हैं, 

जितने सरीफजादे ,

उनके चेहरे बेनकाब करेगी! 


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मैं सम्पूर्ण सार लिए




जैसेकि ये,निरंतर भागती सी राहें,दिन-रात चलें ,
सीधे या दाएं-बाएं घूम कर,इक दूजे से जा मिलें ,
कितनी ही ये दिन-रात दौड़ने की चाहत में रहें ,
पर आखिर में कहीं तो,पूर्ण हो रुकना पड़ता है।


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चलते-चलते एक खास जानकारी 

अब बिना अपॉइंटमेंट के भी 18 से 44 साल वालों को लगेगा कोरोना का टीका



कोरोना वैक्सीन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने बदला नियम 

 कोरोना वैक्सीन की डोज के लिए 18 से 44 साल की आयु के लोगों को अब पहले से ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेने की जरूरत नहीं होगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आदेश दिया है कि इस आयु वर्ग के लोग सीधे वैक्सीनेशन केंद्रों पर पहुंचकर टीका लगवा सकेंगे। हालांकि टीकाकरण से पहले रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक होगा । 


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आज का सफर यही तक.....
आप सभी स्वस्थ रहें,सुरक्षित रहें 
परमात्मा हम सभी पर अपनी कृपादृष्टि बनाये रखें 
कामिनी सिन्हा 

16 टिप्‍पणियां:

  1. सबसे पहले चर्चामंच की पूरी टीम को बहुत-बहुत धन्यवाद/आभार इस कठिन समय में भी आप कंटिन्यू इस मंच का कार्य संचालन कर रहे हैं जो कि काफी काबिले तारीफ है इस टीम के कई सदस्य इस वक्त अस्वस्थ है पर टीम के अन्य इस मंच का कार्य बखूबी निभा रहे हैं।

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. आद. कामिनी जी बहुत ही उम्दा चर्चा।
    मेरी ब्लॉग की एक पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,

    जवाब देंहटाएं
  4. उत्कृष्ट चर्चा अंक आ०कामिनी जी। सुंदर रचनाओं का संयोजन।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर पठनीय सूत्र पिरोने के लिये आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. सारगर्भित चर्चा, आज के अंक में डायरी के पन्नों को सम्मिलित करने हेतु बहुत बहुत आभार कामिनी जी !

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर और पठनीय सूत्रों से सजा अंक,मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार कामिनी जी, सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।

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  8. 👌👌वाह! बहुत ही बेहतरीन 👌👌👌
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर अंक प्रिय कामिनी। मेरी रचना को शामिल करने हेतु बहुत बहुत आभार।

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  10. आदरणीय रवींद्रजी ने लगातार सात दिनों तक चर्चामंच के प्रकाशन को निर्बाध गति से अंजाम दिया। इस ऊर्जा, कर्मठता और प्रतिबद्धता के लिए वे निश्चय ही सराहना के पात्र हैं। उनका यह कार्य हमें निराशा,अकर्मण्यता एवं नकारात्मकता से लड़ने की प्रेरणा दे रहा है।

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  11. वाह लाजबाव चर्चा प्रस्तुति

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  12. आप सभी स्नेहीजनों को तहेदिल से शुक्रिया एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  13. मेरी कविता " मैं सम्पूर्ण सार लिए " को इस मंच पर स्थान देने के लिए आपका सादर धन्यवाद कामिनी सिन्हा जी ! 🙏 😊

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  14. चर्चा पर देर से पहुंचने के लिए क्षमा प्रार्थी हूं।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति बहुत अच्छी भूमिका शीर्ष पंक्तियां बहुत सुंदर।
    सभी रचनाएं बहुत आकर्षक।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं

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